Hindi Kavita on Nature | Short Hindi Kavita on Nature | Best 2025
Hindi Kavita on Nature : हिंदी भाषा में प्रकृति के बारे में बहुत सी कविताएं है जिनमे प्रकृति को मानवीय भावनाओ के साथ जोड़ कर लिख गया है। मनुष्य प्रकृति का अटुट खंड है और मनुष्य प्रकृति पर निर्भर है इसलिए हम अपनी कविताओं में उसकी सराहना करता है। प्रकृति ने ही मनुष्य के जीवन को इस धरती पर रहने लाइक बनाया है इसलिए बहुत से प्रसिद्ध कवि अपनी कविताओं में प्रकृति के बारे में जरूर लिखते है।
Hindi Kavita on Nature : हमारे वेदों और पुराणों में भी प्रकृति की सराहना की गई है और प्रकृति को भगवान का दर्जा दिया गया है। यह श्रिष्टि पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है और इसलिए कह सकते है कि प्रकृति ही इस दुनिया की लाइफ लाइन है। प्रकृति के बारे में बहुत सी संरचनाएं है जिनके बारे में इस लेख “Hindi Kavita on Nature” में दिया गया है उम्मीद है आप इस लेख “Hindi Kavita on Nature” को अपने बच्चों से जरूर शेयर करेंगे।
Table of Contents
Hindi Kavita on Nature Kaise Likhe
Hindi Kavita on Nature : प्रकृति पर लिखने वाले कई प्रसिद्ध कविओं ने प्रकृति के सौंदर्य, रहस्य, और मानवीय जीवन से इसके गहरे संबंध और प्रकृति की सराहना को अपनी कविता में बाखूबी चित्रित किया है। प्रकृति जिसमे पहाड़, नदियां, वन जीवन, पेड़ पौदे और मानव शामिल है इसको कविओं ने अपनी कविता से और खूबसूरत दिखाने की कोशिश की है। बहुत से प्रसिद्ध कवि है जिन्होंने प्रकृति के बारे में बहुत खूब लिखा है जिनमे शामिल है:
- सुमित्रानंदन पंत : सुमित्रानंदन पंत को “प्रकृति का कवि” कहा जाता है यह अपनी कविताओं में प्रकृति के रंग, रूप, गंध और ध्वनि के बारे में बहुत सुन्दर लिखती हैं। उनकी प्रसिद्ध कविताएँ “पल्लव”, “गुंजन”, और “पर्वत प्रदेश में पावस” है।
- महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में प्रकृति को मानवीय भावनाओं के साथ जोड़ा है, उनकी कविताएँ प्रकृति की गहराई और उसके साथ मानवीय रिश्तों की संरचना करती हैं। प्रसिद्ध कविताएँ “नीरजा”, “सांध्यगीत”।
- जयशंकर प्रसाद : जयशंकर प्रसाद जी ने प्रकृति के सौंदर्य, मानव जीवन की सच्चाई और संघर्ष को अपनी कविताओं में चित्रित किया। प्रसिद्ध कविता “कामायनी”।
- रामधारी सिंह दिनकर : रामधारी सिंह दिनकर ने प्रकृति को अपनी कविताओं में मानवता और राष्ट्रवाद के साथ जोड़ा हैं। प्रसिद्ध कविताएँ “रसवंती”, “धूप और धुआँ”।
Hindi Kavita on Nature Bacchon Ke Liye
Hindi Kavita on Nature आप नीचे दी गयी कवितायेँ बच्चों को पड़ा सकते है। “नदियाँ गाती गाना ” यह कविता मुझे भी बहुत अच्छी लगी है।
1. नदियाँ गातीं गाना
देखो नदियाँ बहती जातीं,
मधुर स्वरों में गाना गातीं।
पहाड़ों से निकल के आतीं,
फसलों को अमृत पहुँचातीं।झर-झर जल की धारा प्यारी,
धरती माँ की है उपकारी।
हरियाली से धरती भरतीं,
जीवन में खुशियाँ बिखरतीं।हमको इनका मान बढ़ाना,
नदियों को साफ-सुथरा बनाना।
जीवन के हर मोड़ पे जानो,
नदियाँ जीवन का वरदान मानो।
2. पेड़ हमारे मित्र
हरे-भरे ये प्यारे पेड़,
हम सबके हैं सच्चे भेद।
फल-फूल हमें ये देते,
धूप-छाँव से हमें बचाते।पंछी इनके गाते गान,
इन पर बनाते अपने स्थान।
सांस हमें ये देते हैं,
धरती को सुंदर बनाते हैं।आओ, इनको ना काटें हम,
इनके दोस्त सच्चे बनें।
पेड़ लगाएँ, पेड़ बचाएँ,
धरती को हरियाली पहुँचाएँ।
Hindi Kavita on Nature By Rabindranath Tagore
Hindi Kavita on Nature By Rabindranath Tagore : रबीन्द्रनाथ टैगोर हिंदी सहित में सिखर पर है उनकी बहुत सी रचनाएँ तो बंगाली भाषा में है लेकिन आपको उनकी कुछ हिंदी अनुवादित कवितायेँ यहाँ पर दी गयी है।
प्रकृति का आँगन – रवींद्रनाथ टैगोर
हरे-भरे मैदानों में,
जहाँ हवा गीत सुनाती है।
फूलों की कोमल पंखुड़ियों पर,
ओस की बूंदें मोती बन जाती हैं।पक्षियों का मधुर गान,
गगन को गूँजता जाता है।
झरने की धारा, कल-कल करती,
धरती का आँगन सजाती है।सूरज की पहली किरण,
धरती को आलोकित करती है।
चाँद की शीतल छाया,
रात्रि को मधुर स्वप्न देती है।ओ प्रकृति! तेरा हर रंग,
जीवन का अनमोल संगीत है।
तेरे आँचल में छिपा है,
हर प्रश्न का उत्तर, हर सत्य का गीत।पत्तों की सरसराहट,
जैसे कोई कहता हो कहानी।
हर पेड़, हर शाखा, हर तिनका,
प्रकृति का संदेश सुनाता है।यह जीवन, जो तुझसे ही है,
तुझमें ही विलीन हो जाता है।
ओ अमर प्रकृति, तेरा आशीष,
सदियों तक हम गाते रहेंगे।
प्रकृति का आलाप – रवींद्रनाथ टैगोर
नील गगन के नीचे,
हरी धरती का आँचल।
जहाँ हर पत्ता गाता है,
जीवन का मधुर गान।फूलों की खिलखिलाहट,
जैसे सुबह का संदेश।
पवन की सिहरन में,
मुक्ति का मधुर आह्वान।झरनों की धारा बहती,
अनवरत, अनंत, असीम।
सूरज की किरणों से सजकर,
हरितिमा का रचती सिम्फनी।ओ प्रकृति! तेरा आलिंगन,
हर दुःख को हर लेता।
तेरे गीतों में छुपा है,
जीवन का सच्चा सार।रात में जब चाँद मुस्काए,
तारों का जाल बुन जाए।
तब भी तेरा मौन संगीत,
मुझे भीतर तक पुलकित कर जाए।
गीतांजलि का अंश (हिंदी अनुवाद) – रवींद्रनाथ टैगोर
तुम मेरे भीतर हो, मेरे सबसे प्रिय,
फिर भी मैं तुम्हें खोजता फिरता हूँ।
जंगल की पगडंडियों पर,
नदियों के किनारों पर,
तुम्हें पाने की चाह में,
मैं भटकता हूँ।तुमने अपना आसन सजाया,
मेरे हृदय के भीतर।
फिर भी, अंधा मैं,
तुम्हें देख न पाया।
अपने कर्मों की धूल से,
मैं तुम्हें ढकता गया।ओ प्रभु, यह कैसी माया?
हर सुबह जब सूरज उगता है,
तेरी किरणें मुझे छूती हैं।
फूल जब खिलते हैं,
तेरी मुस्कान झलकती है।
पंछियों की चहचहाहट में,
तेरा संगीत गूँजता है।फिर भी, मैं नासमझ,
तुम्हें पहचान नहीं पाता।
तेरे आशीर्वाद को,
सहजता से न स्वीकार पाता।हे प्रभु, मुझ पर कृपा करो,
मेरा अज्ञान हर लो।
तेरा प्रेम, जो अमिट है,
उसे मेरे हृदय में भर दो।
Long Hindi Kavita on Nature
Long Hindi Kavita on Nature : अगर आप हिंदी की लॉन्ग कविताएं खोज रहे है तो आप को नीचे हिंदी की लॉन्ग कविताएं दी गयी है।
प्रकृति वंदना – सुमित्रानंदन पंत
हरे-भरे वन के आँचल तले,
धरती के सजीव चित्र खिले।
जहाँ कलकल करती नदियाँ बहतीं,
जहाँ हर पत्ता गीत कहता।ऊँचे पर्वत, गगन के प्रहरी,
धरा का वैभव, धवल-सुनहरी।
स्नो से ढकी हुईं उनकी चोटियाँ,
सूर्य की किरणें वहाँ नृत्य करतीं।नील गगन में उड़ते पंछी,
स्वच्छंद जीवन के संदेश वाहक।
उनकी हर फड़फड़ाहट में,
छिपा है स्वप्न का साकार संगीत।फूलों की महकती वादियाँ,
जिनमें हर रंग खिलखिलाता।
गुलाब, बेला, और चमेली,
प्रकृति का यह सुंदर गहना।झरनों की बहती निर्मल धारा,
जैसे कोई कविता हो सजीव।
पत्तों पर बिखरीं ओस की बूंदें,
सूरज की रश्मियों में बनतीं हीरे।शाम का सुकून, चाँदनी रात,
तारों के बीच स्वर्गीय सौंदर्य।
हर पल में छुपा है संदेश,
सादगी में ही है सच्चा आनंद।ओ मानव! क्यों तू अंधा हुआ?
प्रकृति का स्वरूप क्यों भुला?
इसके हर वृक्ष में बसा है जीवन,
इसके हर जलकण में छिपा है अमृत।मत काट इसकी हरियाली,
मत बुझा इसकी मधुर लाली।
इसके बिना जीवन अधूरा,
इसके बिना स्वप्न अंधेरा।धरती की ममता को समझ,
इसकी गोद में तू पलता है।
प्रकृति के हर गीत में सुन,
जीवन का सच्चा राग झलकता है।आओ, प्रकृति का सम्मान करें,
धरती माँ का अभिमान बनें।
हरे-भरे वनों को फिर सजाएँ,
जीवन को सुंदर और सुखद बनाएँ।
ऋतुओं के संग-संग – डी के निवातिया
ऋतुओं के संग-संग मौसम बदले,
बदल गया धरा पे जीवन आधार,
मानव तेरी विलासिता चाहत में,
उजड़ रहा है नित प्रकृति का श्रृंगार,
दरख्त-बेल, घास-फूंस व् झाड़ियाँ,
धरा से मिट रहा हरियाली आधार।खोई है गौरैयाँ की चूँ-चूँ, चीं-चीं,
छछूंदर की भी, खो गयी सीटी,
मेंढक की अब टर्र-टर्र गायब है,
सुनी न कोयल की बोली मीठी,
खग-मृग लुप्त हुआ जाता संसार,
मिट रहा है मधुकर श्रेणी परिवार।तितलियाँ जाने कहां मंडराती है,
टिड्ढो की टोली अब न आती है,
भंवरों की गुंजन को पुष्प तरसते,
अब न बसंत में फूल ही बरसते,
लील गया मानव का अत्याचार,
उजड़ रहा है नित प्रकृति श्रृंगार।चहुँ ओर दिखता पानी पानी,
मानस मन करता त्राहि त्राहि,
अपनी ओर भी देख् रे प्राणी,
तेरी करणी तुझको ही भरणी,
खुद ही झेलो अब इसकी मार,
क्यों किया प्रकृति का त्रिस्कार।लोलुपता मे मन्त्र मुग्ध है,
ज्ञान चेतना मे तू प्रबुद्दः है,
अज्ञानता से रे मानुष तेरी,
चित्त प्रकृति का क्षुब्द है,
कब तक सहेगी ये तेरी मार,
अब तो कर तू, कुछ विचार।खुद को समझ रहा बड़ा दानिश,
क्या देगा गर मांगेगा वारिसः
आने वाले क्षण कि भी सोच,
मिट रही है यह सम्पदा रोज,
मनमानी की होगी सीमा पार,
कभी तो मानगे तू अपनी हार।जाग सके तो जाग रे बन्दे,
कम कर ये विध्वंशक धन्धे,
अभी न चेता तो कब चेतेगा
पड़ जायेंगे, आफत के फंदे,
कभी तो सुन मन की पुकार,
कर रही है अंतरात्मा पुकार।बाढ़, सूखा, वर्षा, माहमारी,
आएगी बीमारियों की बारी,
बंद कर छेड़छाड़ प्रकृति से,
मारी जायेगी दुनिया सारी,
कोई न सुनेगा यहां तेरी हाहाकार,
प्रकृति लेगी जब अपना प्रतिकार।
Hindi Poem on Nature By Famous Poet
Hindi Kavita on Nature : आप को कुछ प्रसिद्ध कवियों की प्रकृति पर आधारित कविताएं नीचे दी गई है।
पर्वत प्रदेश में पावस – सुमित्रानंदन पंत
सुन अरण्य-निशीथ का स्वर,
उठ जग, मधुज्वार जगा रे!
मिट्टी के भीगे कण-कण में,
जीवन की गंध बसा रे।सघन अमर तरु की शाखा में,
हवा की सिहरन गाती।
घनघोर घटाओं की गूँज में,
धरती का हृदय लहराता।नील पर्वत की उस चोटी पर,
मेघों ने अपना डेरा।
अम्बर के पथिक विहगों ने,
छिपकर गाया हर फेरा।नदियों का कल-कल संगीत,
जैसे जीवन का मधुर गान।
चंचल हिरणों के नृत्य से,
वन में जागे नयी तान।पावस का मधुमय स्पर्श,
धरती को तृप्त कर जाता।
विहगों के मधुर गीत सुन,
मन भी मंत्रमुग्ध हो जाता।धूल-सने इन पत्तों में,
अब फिर से हरियाली जागी।
सौंदर्य का यह अनुपम क्षण,
धरती पर अमृत-सा बरसा।ओ पावस, तेरी हर बूँद,
धरती पर जीवन की छवि।
तेरे इस मधुर स्पर्श में,
छिपी प्रकृति की हर दृष्टि।आओ, इन वनों में गाएँ,
पावस का यह गीत।
धरती, अम्बर, जल और गगन,
मिलकर रचें सृष्टि का मीत।
पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी
चाह नहीं मैं सुर्णलता पर,
बिछ जाऊं, हे भवानी,
चाह नहीं, देवों के सिर पर,
चढ़ूं, भाग्य पर इठलाऊं।चाह नहीं, नर-राज मुकुट बन,
नवयौवन पर इठलाऊं,
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर,
हे हरि, डाला जाऊं।मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएं वीर अनेक।
Short Hindi Kavita on Nature
Short Hindi Kavita on Nature : अगर आप हिंदी की छोटी कविताएं खोज रहे है तो आप को नीचे हिंदी की शार्ट कविताएं दी गयी है।
1. प्रकृति का वरदान – सुमित्रानंदन पंत
हरा-भरा यह धरा का आँचल,
जहाँ जीवन का सुंदर मंजर।
नील गगन में बादल तैरें,
धरती को चूमें, जीवन सँवारें।सरिताएँ बहतीं गीत सुनातीं,
कल-कल करतीं सृष्टि सजातीं।
पर्वत का स्थिर अटल संदेश,
ऊँचाइयों में बसा सुकून विशेष।हरियाली में छुपी मधुर मुस्कान,
फूलों की कली का रचती मान।
ओ मनुज, इस प्रकृति को अपनाओ,
इसके आशीष में जीवन सजाओ।
2. वन की महिमा – जयशंकर प्रसाद
जंगल के घने पेड़ों में,
धरती की शांति बसती है।
पंछियों के मधुर गीतों में,
प्रकृति का प्रेम झलकता है।चिड़ियों का नृत्य, हवा की लहर,
हर क्षण यह दृश्य कहता है।
सृष्टि का यह अनमोल खजाना,
हर जीवन को नव-संदेश देता है।ओ मानव, इसे मत भूलो,
यह तुम्हारा आधार है।
इसके बिना जीवन अधूरा,
यह धरती का सच्चा श्रृंगार है।
3. धरती की पुकार – महादेवी वर्मा
धरती माँ ने हमसे पूछा,
“क्यों छेड़ा मेरा हर कोना?
हरे वनों को काटकर,
तुमने क्यों जलाया मेरा सपना?”फूलों की खुशबू मुरझा गई,
पंछियों की चहचहाट गुम गई।
झरने के सुर अब मौन हैं,
हवा का स्पर्श भी अब कठोर है।ओ मानव, मेरे आँसू देखो,
मेरी कराह को समझो।
मुझे फिर से सजने दो,
प्रकृति के इस खेल को चलने दो।
4. बारिश का संदेश – हरिवंश राय बच्चन
जब आकाश से गिरती बूँदें,
धरती पर अमृत बिखेरती हैं।
खेतों में हरियाली का आलिंगन,
जीवन का सुंदर नृत्य दिखाती हैं।सूरज की गर्मी से तपती धरती,
बरखा की ठंडक को तरसती।
जब बादल घिरते गगन में,
जीवन में उमंग भरते मन में।बारिश, तू सिखाती है हमें,
सपनों को सींचना।
हर परिस्थिति में बहते रहना,
और नवजीवन का दीप जलाना।
5. सूरज की महिमा – रामधारी सिंह दिनकर
सूरज की रश्मियाँ जब बिखरतीं,
धरती पर जीवन को गढ़तीं।
पर्वत, नदियाँ, और हरियाली,
इनमें छुपी है उसकी लाली।रात के अंधकार को हराता,
प्रकाश से जग को जगाता।
सूरज का यह अनुपम उपहार,
हर जीवन का सच्चा आधार।ओ मनुज, इस प्रकृति का ध्यान करो,
इसके प्रति अपना सम्मान करो।
सूरज के तेज से प्रेरणा लो,
और जीवन को प्रकाशमान करो।
6. धरती की पुकार -नागार्जुन
धरती ने पुकारा, सुनो मेरे लाल,
मत काटो मेरे जंगलों का जाल।
हर पेड़ में बसा है जीवन,
मत तोड़ो मेरा यह अपनापन।गगन में उड़ने वाले पंछी,
तुम्हारे संग भी जीवन है बंधा।
धरती की इस हरीतिमा से,
जुड़ा है हर प्राणी का रथ।
7. सूरज की गर्मी – रामधारी सिंह दिनकर
सूरज की गर्म किरणें,
धरती को हरियाली देतीं।
पर्वत, नदियाँ, और यह जीवन,
सबमें सजी है उसकी ज्योति।अंधकार में भी वह चमके,
सिखाए हमें मार्ग प्रकाश।
प्रकृति के हर कण में दिखे,
जीवन का सच्चा विश्वास।
8. बारिश का नृत्य – हरिवंश राय बच्चन
बरखा की रिमझिम धारा,
धरती पर जीवन को सवारा।
हरियाली के इस आलिंगन में,
हर दिल ने नया सपना संवारा।कभी तूफान, कभी सुकून,
प्रकृति के यह दो रूप।
जीवन के हर उतार-चढ़ाव में,
सिखाए संतुलन का स्वरूप।
9. वन-तरु का मधुर गान – जयशंकर प्रसाद
वन-तरु की हरीतिमा में,
छुपा है जीवन का गान।
पंछी के पंखों की छाया,
सजाए स्वर्ग का निदान।फूलों की कोमल छुअन में,
धरती की ममता छलके।
प्रकृति के इस मधुर गीत में,
संपूर्ण ब्रह्मांड झलके।
10. पत्तों की सरसराहट – महादेवी वर्मा
हरे पत्तों की सरसराहट,
जैसे कोई गीत गाता हो।
धरती माँ की गोद में,
हर जीवन मुस्कराता हो।चाँदनी की हल्की चादर,
सपनों का एक घर बनाती।
प्रकृति का यह कोमल स्नेह,
हर मन को शांत कर जाती।
Conclusion
Hindi Kavita on Nature : उम्मीद करता हूँ इसके बारे में आपको अपने सभी प्रशनों के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपको जानकारी चाहिए तो कमेंट बॉक्स में हमें बता सकते है। Hindi Kavita on Nature आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और आप दोस्त रिश्तेदारों से यह जरूर शेयर करें। यदि आपको किसी विशिष्ट विषय पर मदद चाहिए, तो कृपया विस्तृत जानकारी कमेंट बॉक्स और हमें कॉन्टेक्ट करके साझा करें। धन्यवाद।